Wednesday, July 9, 2025

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Hotel Wooden Paradise - Review

     When planning to visit Nainital for religious and sightseeing purposes, we decided to stay near the lake on Mall Road. As usual, we searched for hotel locations on Google Maps. We found that a hotel named  Wooden Paradise met our needs, and it was affordable too. So we booked it online. Two rooms for two nights.

As you can see, Hotel Wooden Paradise
is shown on the Mall Road near the lake, but…


        But it came out that it was one of the deceptive hotel bookings we ever made. When we reached Nainital and contacted the hotel person for the hotel location, he asked us to come near the Nainital Post Office. We took our cab there to find out that it was not on the Mall Road but on a higher road, not near the lake. 

But it was Harsh Guest House renamed as Wooden
Paradise and it was nowhere near the lake


     The cab was turned back and brought near the entrance gully to quickly unload the luggage because the steeply sloped road was not too wide and was prone to traffic jams. The entrance was congested, and the hotel looked more like a private home than a professional one. The walls of the rooms were wooden-clad, but there was no ventilation. A mirror had a crack that was covered with paper when my wife insisted. The bed sheets were like a cheap hotel. In fact, it appeared that earlier this hotel was named as "Harsh Guest House" and they changed its name to Wooden Paradise and showed it on the Mall Road on Google map to deceive the customers. 

Rooms were like this, no ventilation and no mobile signal

 

        Another problem was that mobile signals were not available in the rooms. When we complained, they provided us hotel's Wi-Fi, but that was also sometimes off. Going on foot from the Mall Road to the hotel rooms was very tedious for us, as it was about a 300 m walk up the slopey road, and it was even steeper 50 m from the road turning to the hotel entrance. Every time you need to go shopping, restaurant, sightseeing, or just for a walk, you will have to go uphill this distance. They serve food in the room if ordered, but that is not up to the mark. The hotel entrance was congested with bike parking and there were many a times dog shits before the entrance on the road. So the final decision is never to book this hotel - it is a big NO.


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44. Hotel Wooden Paradise - Review

43. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास "होटल कन्हैया एंड रेस्टॉरेंट" - रिव्यु

42. होटल साईं यात्री, त्रयम्बक, महाराष्ट्र -रिव्यु

41. यूपी वाले ड्राइवर भैया





















          

Sunday, April 6, 2025

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास "होटल कन्हैया एंड रेस्टॉरेंट" - रिव्यु

            पुराणों एवं हिन्दू मान्यताओं के अनुसार जो महादेव के विशेष मंदिर हैं उनमें स्थापित अथवा स्वयं से उत्पन्न प्रभावशाली शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। इनकी संख्या बारह है। इन ज्योतिर्लिंगों एवं उनके स्थानों के बारे में आप इस लिंक पर पढ़ सकते है - द्वादशज्योतिर्लिङ्गस्मरणम् - बारह ज्योतिर्लिङ्ग का स्मरण। गुजरात के सोमनाथ ज्योतिर्लिंग इनमें से पहले हैं जबकि एलोरा के पास खुल्दाबाद में घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग बारहवें हैं। नवंबर 2024 में जब हम लोग ज्योतिर्लिंगों की यात्रा पर गए थे तो पहले त्र्यम्बक में त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा की थी। वहां हम लोग "होटल साईं यात्री" में रुके थे जिसका रिव्यु मैं पिछले पोस्ट में लिख चूका हूँ। आप यह रिव्यु इस लिंक पर पढ़ सकते हैं - होटल साईं यात्री, त्रयम्बक, महाराष्ट्र -रिव्यु। हमारा अगला ज्योतिर्लिंग, घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग था जहाँ जाने के लिए हम लोग अगली सुबह निकले थे। रास्ते में हम लोग नासिक के पंचवटी और साईं बाबा मंदिर होते हुए घृष्णेश्वर पहुंचे। यहाँ पहुँचते शाम हो गयी। 

 
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास “होटल कन्हैया एंड रेस्टोरेंट”
खुल्दाबाद, महाराष्ट्र। 

         ऑनलाइन होटल बुकिंग में कोई मंदिर के पास होटल न दिखा तो जो मुझे पास का जो ठीक होटल लगा वो मैंने बुक कर लिया। यह होटल था "होटल कन्हैया एंड रेस्टॉरेंट", खुलदाबाद। यहाँ पहुँच कर जब होटल की खोज की तो पाया कि यह होटल मंदिर के बहुत पास नहीं है। यद्यपि होटल और मंदिर के बीच पैदल जाया जा सकता है जो दूरी लगभग आधा किलोमीटर होगी। जो मुख्य पक्की सड़क है उससे यह होटल करीब 300 फ़ीट दूर है और कच्ची रास्ता है। होटल का मुख्य भवन बढ़िया दिखता है जिसके सामने पार्किंग के लिए बहुत जगह है। किन्तु होटल परिसर का कोई चहारदीवारी और गेट नहीं है। होटल नया ही बना है और स्टाफ अनुभवी नहीं हैं। दिन भर की यात्रा के बाद जब हम लोग यहाँ पहुंचे तो रिसेप्शन में एक 17 - 18 साल का लड़का बैठा था। पहले तो वह हमारे बुकिंग के बारे में बता न सका और किसी से फोन पर बात की। फिर रूम दिखाने के लिए प्रथम तल्ले पर ले गया। रूम देख कर मुझे सही नहीं लगा। मैंने नाराजगी दिखाई कि इस तरह का कमरा इतना पेमेंट के बाद क्यों लूंगा। तब एक व्यक्ति आया जो मैनेजर जैसा था। उसने कहा इसे नहीं पता मैं बताता हूँ कमरा। तब उसने ग्राउंड फ्लोर पर दो कमरे दिए जो ठीक-ठाक थे किन्तु रु. 3000 प्रतिदिन प्रति कमरे के हिसाब से सही न थे। 

होटल कन्हैया एंड रेस्टोरेंट का कमरा,
घृष्णेश्वर, खुल्दाबाद, महाराष्ट्र


       फिर घृष्णेश्वर मंदिर पर जाने के लिए आपको कच्ची रास्ते से मुख्य सड़क पर आना होता है जिस पर लगभग 500 फ़ीट चलने के बाद मंदिर की तरफ मुड़ने वाले स्थल तक आना होता है। मुख्य सड़क पर सावधानी से चलें क्योंकि सभी प्रकार की गाड़ियाँ तेज चलती हैं। इस सड़क पर एक नाले के ऊपर कल्वर्ट भी है जहाँ सड़क थोड़ी संकरी है, यहाँ कभी कभी गन्दगी भी रहती है। यद्यपि होटल में रेस्टॉरेंट नहीं है तथापि मुख्य सड़क पर नाश्ता एवं भोजन के लिए होटल हैं तथा एक साड़ी की बड़ी दूकान भी है। 

       अंत में यही कहूंगा कि मंदिर के पास में कोई बढ़िया होटल रात्रि विश्राम के लिए न मिलने की स्थिति में आप यहाँ रुक सकते हैं। हमारे घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग यात्रा के बारे में आप इस लिंक पर पढ़ सकते हैं -  श्रीघृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन-पूजन तथा एलोरा गुफाएँ।         


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44. Hotel Wooden Paradise - Review

43. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास "होटल कन्हैया एंड रेस्टॉरेंट" - रिव्यु


42. होटल साईं यात्री, त्रयम्बक, महाराष्ट्र -रिव्यु


 41. यूपी वाले ड्राइवर भैया






















 

Wednesday, April 2, 2025

होटल साईं यात्री, त्रयम्बक, महाराष्ट्र -रिव्यु

त्रयम्बक में होटल साईं यात्री के पास भोजनालय

      नवंबर 2024 में हम लोग महाराष्ट्र के ज्योतिर्लिंग यात्रा पर निकले थे। नासिक के पास स्थित त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग उस ट्रिप में पहला स्थल था। मैंने ऑनलाइन होटल खोजने में यह ध्यान रखा कि यह मंदिर के पास हो। इससे जब इच्छा हो तब पैदल ही मंदिर की तरफ जा सकते हैं। साथ ही होटल की रेटिंग भी अच्छी हो। ऐसे में त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के पास जो सही होटल दिखा वह था "होटल साईं यात्री", त्रयम्बक। मैंने इसमें दो कमरे बुक किये क्योंकि हम लोग चार व्यक्ति थे। 

होटल साईं यात्री का कमरा, त्रयम्बक,महाराष्ट्र


       जब हम लोग अपनी किराये की कार से गूगल मैप देखते हुए होटल के पास पहुंचे तो संध्या होने वाली थी और उस सड़क पर दोनों तरफ दुकानें होने के कारण भीड़ थी। ड्राइवर बोला कि यहाँ तो सड़क पर कार पार्क नहीं कर सकते, आप लोग होटल में सामान ले कर चेक इन करो, जब जरूरत होगी तो कॉल करना। मैंने कहा कि पहले रिसेप्शन पर बात करते हैं फिर जैसा होगा करेंगे। रिसेप्शन पर जब हमने बताया कि कार से आये हैं तो उसने कहा कि गाड़ी होटल के पीछे वाली रोड में ले आओ वहाँ पार्क करा दूंगा। वस्तुतः होटल दो पैरेलल रोड के बीच था और दोनों ही तरफ एंट्री थी। जिधर हम लोग उतरे थे उस सड़क पर ज्यादा दुकानें और भीड़ थी। ड्राइवर कार को पीछे की तरफ ले गया और उधर से ही सामान उतार कर गाड़ी पार्क किया। 

होटल साईं यात्री का कमरा, त्रयम्बक,महाराष्ट्र


            जब हम लोग रूम में पहुंचे तो देख कर संतोष हुआ। रूम बड़ा था और साफ़ सुथरा था। बेड शीट और पिलो कवर भी साफ़ सुथरा था। वाश रूम जाकर देखा तो वह भी ठीक था। रूम तक जाने के लिए लिफ्ट की सुविधा भी थी। होटल से निकलते ही आप मार्किट में आ जाते हैं और त्रयम्बकेश्वर मंदिर 150 मीटर की दूरी पर पाते हैं। 

होटल साईं यात्री का कमरा, त्रयम्बक,महाराष्ट्र


          हम लोगों ने लम्बी यात्रा से आ कर चेक इन किया था अतः फ्रेश हो कर मंदिर जा कर संध्या पूजा देखने का सोचा। हमने सोचा था की शाम को जल्दी ही दर्शन कर आ जाएंगे परन्तु छुट्टी का दिन होने के कारण श्रद्धालुओं की बहुत भीड़ थी। वहां से निकलते साढ़े दस रात्रि हो चुकी थी। फूल वाले को फूल की टोकरी लौटने और अपने चप्पल लेने गए तो देखा कि वे लोग दूकान बंद कर जा चुके थे। हमारा चप्पल बाहर रखा था तो उन्हें ले कर फूल की टोकरी दुकान के सामने रख कर लौटे। अब भोजन की चिंता हो रही थी क्योंकि लगभग मार्किट बंद हो चुका था किन्तु होटल के गेट के पास ही दो भोजनालय खुले थे। उनमें से एक का नाम भी होटल साईं यात्री ही था। वहीं हमने भोजन किया। 

होटल साईं यात्री, त्रयम्बक,महाराष्ट्र के पास ही है त्रयम्बकेश्वर
ज्योतिर्लिंग मंदिर का मुख्य द्वार।


           इस प्रकार होटल की मंदिर से निकटता, पार्किंग और लिफ्ट की सुविधा, कमरे एवं टॉयलेट्स की सफाई, निकट बाजार तथा भोजन हेतु रेस्टॉरेंट्स की पास में उपलब्धता को ध्यान में रखें तो होटल साईं यात्री त्रयम्बक, महाराष्ट्र में रात्रि विश्राम एवं ठहरने के लिए एक अच्छा होटल है। त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन -पूजन करने में आसानी होगी। मैं इस होटल का अनुमोदन करता हूँ। 

     हमारी त्रयम्बक यात्रा को आप इस लिंक पर पढ़ सकते हैं। CLICK HERE    

 

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42. होटल साईं यात्री, त्रयम्बक, महाराष्ट्र -रिव्यु 

41. यूपी वाले ड्राइवर भैया

























Saturday, November 30, 2024

यूपी वाले ड्राइवर भैया

    तीर्थ यात्रा से लौटते समय एक दिन का समय बचा था। फ्लाइट मुंबई से थी तो हमलोगों ने सोचा कि एक दिन मुंबई ही घूमा जाए। योजना बनी कि सबेरे तैयार हो कर पहले महालक्ष्मी मंदिर में दर्शन किया जाये। सबेरे तैयार होकर होटल से निकल हम लोग सड़क पर आये। सामने ही एक काली-पीली टैक्सी खड़ी थी, बुजुर्ग ड्राइवर से बात कर सभी उसमें बैठे। आपस में हमारी बातें सुनकर ड्राइवर समझ गया कि ये लोग बिहार तरफ के हैं, पूछ ही लिया हमसे। मैंने बताया पटना से हूँ। फिर तो उनकी बातें चालू हो गयीं।

    "आप लोग लार्ड्स होटल में रुके हैं क्या ?"

    "हाँ"

    "Mल्ले का होटल है वो। पहले एक क्रिस्चियन का हुआ करता था। फिर इसने खरीद ली। एक-एक दुकान को जानता हूँ मैं इस इलाके में। तीस सालों से गाड़ी चला रहा हूँ यहाँ। फलाने सेठ जी के यहाँ रहता हूँ। बहुत मानते थे मुझे वो। अब नहीं रहे वो पर बोल के गए थे कि जब तक ये है, निकालोगे नहीं ललित पंडित को।"

जब उसने होटल के नाम का उच्चारण लॉर्ड्स की जगह लार्ड्स किया था, तो मैंने अनुमान लगा लिया था कि ये यूपी से है। मैंने भी पूछ ही लिया,"आप यूपी से हैं ?"

"हाँ, प्रयाग का रहने वाला हूँ।"

वास्तव में यूपी की भाषा का जो बोलने का तरीका है (एक्सेंट), उसमें लोग 'ऑ' के जगह 'आ' का उच्चारण करते हैं। जैसे 'हॉस्टल' को 'हास्टल', 'हॉल' को 'हाल' बोलना।      

    उसके बातों का सिलसिला चलता रहा - "देखो, प्राइवेट टैक्सी जो भी मिलेगी OLA से ज्यादा ही पड़ेगा। वैसे आपलोग उधर के ही हो, माने पटना के हो तो दस-बीस कम दे देना। मैं ज्यादा नहीं लेता पर क्या करूँ, हर चीज महँगी है। पेट्रोल महँगी है, मशीन का तेल महंगा है। .... "

   इसी बीच उनका फोन आ गया। फोन पर बोलते सुना,"हाँ मनीजर साहेब, बोलिये"

        उधर से,"कहाँ हो अभी आप ? अभी आ सकते हो?"

    ड्राइवर,"हाँ, अभी महालक्ष्मी मंदिर जा रहा हूँ। कितनी देर में आना है?"

        "पंद्रह मिनट में आ सकते हो तो बोलो, नहीं तो दूसरा देखना होगा।"

    "आ जाऊंगा मैं। बस पंद्रह से बीस मिनट में पहुँचुँगा।"

और उसके बाद वे रेस हो गए और मुख्य सड़क पर लक्ष्मी नारायण मंदिर के पास उतार कर बोले, "यहाँ से पैदल दो-तीन मिनट का रास्ता है महालक्ष्मी मंदिर का, चले जाओ, अंदर भीड़-भाड़ रहेती है, गाड़ी जाने में दिक्कत होगी।" उनको पैसे देकर हम लोग रास्ता पूछते बढ़े। देखा कि कार तो आ-जा रही थी उस रास्ते में। समझ गए हम कि मैनेजर साहेब के पास जाने की हड़बड़ी थी उन्हें इसीलिए कैब इधर न लाये।                

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