Monday, August 9, 2021

मैना का चूजा, A Myna Chick

       रवि के घर के आगे बरगद का एक पुराना बड़ा पेड़ है। इसकी शाखाएं ऊपर फैली हैं। एक बड़ा वृक्ष पक्षियों और कीट पतंगों के जीवन का बड़ा आधार होता है। कई पक्षी अपने घोंसले पेड़ों पर बनाते हैं और अंडे देकर कई दिनों तक उसपर बैठते हैं फलस्वरूप उन अण्डों से चूजे बाहर आते हैं। चूजे को अंडे से बाहर आते ही जो काम होता है वह है खाना। कुछ दिखे या न दिखे पर भोजन भरपूर चाहिए जिसके लिए ये चीं-चीं कर बड़ा शोर मचाते हैं।


     अधिकतर चूजों की आँखें अंडे से बाहर निकलने के बाद खुली नहीं होतीं, ये कुछ दिनों बाद खुलती हैं। लेकिन चोंच का फैलाव शरीर के अनुपात में बड़ा होता है। ये देखा जा सकता है, जब इनके माता या पिता के आने की आहट इनको होती है और भोजन की उम्मीद में ऊपर की ओर चोंच कर पूरा फैला देते हैं।


          ज्यादा भोजन इन्हें बढ़ने में मदद करता है और अंडे से बहार आने के एक सप्ताह के अंदर इनका शरीर कई गुना बढ़ जाता है। एक से ज्यादा चूजे घोंसले में हों तो भोजन के लिए आपस में प्रतियोगी भी बनते हैं। पक्षी जैसे ही भोजन लेकर घोंसले के पास आता है, ये चूजे चोंच फैला कर एक दूसरे को ठेलते हुए माता के चोंच में दबे भोजन के पास पहुँचने का प्रयास करते हैं ताकि माँ उनके मुँह में भोजन डाल दे। 

उदास चूजा

   जब चूजे बड़े होने लगते हैं तो इनके पर भी बढ़ने लगते हैं और ये इन्हें हिला कर पहले से ही अभ्यास करने लगते हैं। कल ऐसा ही एक मैना का चूजा बरगद के पेड़ पर अपने घोंसले से नीचे गिरा और रवि के दरवाजे के पास उदास सा दुबका रहा। उत्सुकतावश जब रवि इसके पास गया तो डरने के बदले चोंच फैला कर खाना मांगने लगा जैसे कोई पुराना पालतू हो। रवि को तो जैसे अपने फोटोग्राफी का देवप्रदत्त अवसर मिल गया। मुझे विडिओ कॉल कर दिखाया और कहने लगा मुर्गी का चूजा देखिये, मैंने कहा "ये तो मैना का चूजा है।" पर उसके दिमाग में था तोता-मैना की कहानी। उसे लगा कि मैना तो तोते जैसा होना चाहिए अर्थात मैना तोता का ही दूसरा जेंडर होता है।
आशा भरी नजरों से देखता

          मैंने उसे समझाया कि मैना और तोता दो बिलकुल अलग अलग पक्षी हैं। फिर गूगल से मैना की फोटो का स्क्रीनशॉट भेजा, तब जाकर उसे विश्वास हुआ। रवि की पत्नी आशु ने इसके सामने पेपर पर चावल रखा, पर चोंच ऊपर खोल कर मुँह में डालने का इशारा करने लगा। खुले चोंच में चावल डालते ही, और खाने के लिए चोंच फिर खोल दिया। खाने के बाद आशु ने इसे पानी भी पिलाया। खा-पीकर यह दीवार के बगल में बैठ गया। 

भूखा चूजा


  इसकी सुरक्षा के लिए खासकर कुत्तों से बचाने के लिए रवि ने इसे उठाकर ऊपर छत के पास एक रैक पर रख दिया। चूजे को छूने में भी रवि को डर लग रहा था। पूरी हिम्मत बटोर कर जल्दी से इसे उठा कर ऊपर रखा था और मुझे बताया, "अंकल इसे छूने में तो मेरी (हिम्मत) फट गयी।" 😅😅

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