Monday, February 1, 2021

रवि की दिलेरी

        "अंकल, जरा कमरे से मरी छिपकिली निकाल दीजिये ना, मुझे डर लगता है", रवि के मुँह से यह सुनकर थोड़ी देर मैं उसे देखता रह गया फिर हँसी छूट गयी। पाँच फ़ीट दस इंच ऊँचा, पढ़ा लिखा बीo टेकo, तीस साल के गबरू जवान के मुँह से यह सुनना हँसी की ही बात थी। मैंने कहा कि भला मरी छिपकिली किसी का क्या बिगाड़ सकती है, ज़िंदा होती तो और बात थी। पर वह दस फ़ीट दूर ही खड़ा रहा और नज़दीक जाने को तैयार न हुआ। 

शुरू में छत्ता

      इस घटना से ऐसा लगता है कि रवि डरपोक होगा पर ऐसा नहीं है। वह बिलकुल नॉर्मल है और मेरे साथ कई वाटर फॉल्स, डैम, पहाड़ी और दूर के मंदिरों की यात्रा की है। जैसे नेपोलियन बिल्ली से डरता था लगता है रवि भी छिपकिली से डरता है। 

 

नज़दीक से
     पर कल उसने कुछ ऐसा किया कि जो मैं कभी नहीं करूँगा। उसने मधुमक्खी के छत्ते को छेड़ा और आधा तोड़ दिया। ऊपर से इसकी पूरी फोटोग्राफी भी की। जब उसने मुझे फोटो भेजे तो आवाक रह गया। उसे हल्का डाँटा भी (ज्यादा डाँटने पर नाराज़ हो जाता है) कि ऐसी गलती फिर न करे। जब उससे पूछा कि ऐसा रिस्क लेने की क्या जरुरत थी, तो बताया कि फोटोग्राफी का शौक हो गया है और नयी नयी चीजों की तस्वीर लेने का मन होता है। ये तस्वीर मुझे इंस्टाग्राम पर अपलोड करने के लिए भेजने का मन हुआ। बेशक रवि अच्छी तस्वीर लेता है। उसके कई फोटो नाम के साथ मैंने भी अपने ब्लॉग और इंस्टाग्राम में पब्लिश किये हैं। मेरे लिए उसका इतना रिस्क लेना मेरे प्रति प्यार को दिखता है। 
तोड़ने के बाद बचा हुआ छत्ता

        जब मैंने पूछा कि कैसे मधुमक्खी के छत्ते को तोडा तो घटना सुनायी। छत्ता फर्स्ट फ्लोर की बालकॉनी में छत से लटक रहा था। मधुमक्खियाँ आस - पास उड़ रहीं थीं। यद्यपि वे कोई नुकसान नहीं कर रहीं थीं फिर भी उसे डर लग रहा था कि कहीं ये डंक न मारे। सबसे पहले उसने धुआँ उगलते कोयले का चूल्हा ठीक छत्ते के सीध में फर्श पर रखा। पर हवा के कारण धुआँ सीधे उपर छत्ते पर नहीं जा रहा था। मधुमक्खियाँ अपनी जगह बैठी रहीं । खतरा मोल लेते हुए रवि ने डंडे से छत्ते को हल्का हिला दिया और जल्दी से कमरे में भाग आया । इससे बौखला कर मधुमक्खियाँ तिलमिलाते हुए बाहर उड़ने लगीं, उन्हें धुआं भी अब लगने लगा । लगा होगा कि आसपास आग लग गयी है। अब छत्ते पर बहुत कम मक्खियाँ थीं। मौका देखकर लम्बे डंडे से उसने छत्ते पर दे मारा। आधा छत्ता टूट कर नीचे गिरा और रवि झट से दौड़ कर बालकोनी से कमरे में आ गया और दरवाजे को बंद कर लिया। 

टूट कर गिरा छत्ता जो नाली में चला गया था

         अब आता है इसका परिणाम। झट से कमरे में घुसने के चक्कर में पैंट चौखट के एक खोंच में फँस गया और महंगा पैंट थोड़ा फट गया। पैंट फँसने के कारण जो थोड़ी देरी हुई इतने में एक मधुमक्खी ने डंक मार दिया। उसका जो लहर होता है वह भुगतने वाला ही जानता है। जब मुझे पता चला तो मैंने कहा कि शुक्र मनाओ एक ही ने डंक मारा, वरना ये तो झुण्ड में आक्रमण करती हैं और अगर ऐसा होता तो लेने के देने पड़ जाते। इतना होने पर भी अगर शहद चखने को मिलता तो कुछ मन को संतोष होता। पर शहद का तो अलग ही अंत हुआ, वह बताता हूँ। यह बालकनी प्रथम तल पर है। निचे तले के पीछे किचेन गार्डन है जिसे देसी भाषा में बारी बोलते हैं। घर से सटे बारी में एक पुराना कुआँ है और कुँए से घर के किनारे कच्ची नाली जाती है जिसमे घर का उपयोगोपरान्त पानी बहता है। अब यह टूटा छत्ते का टुकड़ा बालकनी में न गिरकर, रेलिंग के बहार गया और नाली में गिर गया। अब नाली में गिरे छत्ते के टुकड़े का शहद तो नहीं खा सकते। वह बर्बाद हो गया।  

           अंततः मिला क्या ? इंस्टाग्राम के लिए तस्वीर और रवि के व्यक्तित्व का एक नया पहलु देखने को - रवि की दिलेरी।

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(सभी फ़ोटो रवि कुमार के सौजन्य से)

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